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लेखनी कहानी -08-Jul-2022 यक्ष प्रश्न 1

अबला, सबला और आ बला 


अबला, सबला और आ बला

मैं आज सुबह चाय के साथ अखबार का नाश्ता कर रहा था । सुबह सुबह पेट को भूख नहीं लगती है बल्कि दिमाग को लगती है । होठों को प्यास लगती है । मगर ये प्यास पानी से नहीं मिटती बल्कि गरमागरम चाय से मिटती है और दिमागी भूख अखबार से मिटती है । तो हम कल हुए अपराधों, मर्डर, बलात्कार ,चैन लूटने की घटनाओं, अन्य अपराधों और दुर्घटनाओं के बारे में अखबार में समाचार पढ़ रहे थे ।

आजकल अखबार में ये ही समाचार होते हैं । इनके अलावा और कोई समाचार होते भी हैं क्या ? या फिर नेताओं के बड़बोले बयान होते हैं । किसने क्या ट्वीट किया और उस ट्वीट पर क्या हंगामा हुआ , यही सब सुर्खियां बनती हैं आजकल । हम समाचारों को लानतें भेज ही रहे थे कि  इतने में हमारे घुटन्ना मित्र हंसमुख लाल जी का फोन आ गया । बड़े घबड़ाये से लग रहे थे वे । हमने पूछा कि क्या हुआ तो कहने लगे कि भाईसाहब तुरंत घर आइये , यहीं बतायेंगे । हम बड़े घबराए कि ऐसी क्या बात हो गई है सुबह सुबह जो हमें याद किया गया है ? जरूर कुछ न कुछ गंभीर बात होगी वरना हंसमुख लाल जी सुबह सुबह हमें कष्ट नहीं देते । हम तुरंत ही चल दिये । 

हंसमुख लाल जी के घर पहुंचे तो पता चला कि उनकी पड़ोसन "लडंका देवी" ने कोहराम मचाया हुआ है । हमने पूछा कि क्या हुआ तो वे कहने लगे "क्या बतायें भाईसाहब , नाक में दम कर रखा है इसने । जीना दूभर हो गया है हमारा । सुबह से लेकर शाम तक फिर रात से लेकर सुबह तक "चिक चिक झिक झिक" करती ही रहती है ये । हम तो तंग आ गये हैं इससे। अब आप ही हमें बचा सकते हैं, भाईसाहब " ।

हमने कहा "वो तो ठीक है । मगर कोई तो बात होगी इस चिक चिक झिक झिक की ? आखिर बिना बात तो कुछ भी नहीं होता है ना इस दुनिया में" । 

हमारी बात से हंसमुख लाल जी सहमत दिखे । वे कुछ बोलते उससे पहले ही जवाब हंसमुख लाल जी की पत्नी ने दिया "भाईसाहब, इसके घर में इसके अलावा और तो कोई  है नहीं । इसको लड़ाई लड़ने को कोई तो चाहिए । अपना दिन भर का फ्रस्ट्रेशन किस पर निकाले यह ?  हम तीनों पड़ोसी इसी काम आते हैं इनके" । 

अब बात सामने आ गई थी । हमने मन ही मन भाभीजी की बुद्धिमत्ता की दाद दी । हमने चौंककर पूछा "तीनों पड़ोसी कौन" ? 

"इनके मकान के दांये, बायें और पीछे वाला । इन्हीं से रात दिन लड़ती रहती है ये कालका माई" 
"काम क्या करती है ये" ?
हंसमुख लाल जी इस सवाल पर हंसते हंसते लोटपोट हो गए । हमने अचंभे से उन्हें देखा तो वे झेंप गए और कहने लगे "इतनी देर से यही तो समझा रहा हूं भाईसाहब, कि चौबीसों घंटे लड़तीं रहती है ये । और आप मुझसे पूछ रहे हैं कि काम क्या करती है " ?  उनकी हंसी अब रुकने का नाम नहीं ले रही थी । 
मैने हिम्मत करके पूछा "लड़ाई के अलावा और क्या करती है" ? 
"सुना है कि सरकारी नौकरी करती है । बस, दो घंटे ऑफिस जाती है और बाकी सारा दिन हम पड़ोसियों से लड़ने  में बिताती है "। 
"इसका बॉस इसे कुछ कहता नहीं है क्या"? 
"वो क्या कहेगा इससे ? इसके बॉस की इतनी हिम्मत है क्या जो इसको कुछ कह जाये वह । ये सुनने वाली है क्या ? बल्कि ये तो खुद सुनाती है अपने बॉस को 'भजन' । शुरू शुरू में जब ये हमसे बात किया करती थी तब कहती थी कि मैंने तो ऑफिस में कह रखा है कि पहले से ही मैंनें अलग अलग ऑफिस में पांच बॉसेज के खिलाफ FIR दर्ज करा रखी हैं । कोई दुष्कर्म की , कोई छेड़ने की , कोई घूरने की तो कोई अश्लील बातें करने की । इसलिए अब कोई भी बॉस डर के मारे इससे कुछ भी नहीं कहता है । बल्कि ये कहता है कि मैडम आप तो घर पर ही रहा करिये । काम धाम करने की जरूरत नहीं है आपको । काम करने के लिए हम हैं ना ? आपका काम तो हम ही कर दिया करेंगे । आप तो बस आराम से अपने घर में बैठो । तनख्वाह आपके खाते में जमा हो जायेगी हर पहली तारीख को । मगर ये मैडम मानती ही नहीं हैं । रोज दो घंटे ऑफिस जाती हैं बॉस और अपने कुलीग्स की नाक में दम करने और फिर वापस घर आ जाती हैं" । 
"घर में और कौन कौन हैं इसके" ?
"अकेली ही है । अगर इसके घर में ही कोई दूसरा होता तो हम पड़ोसियों से बिना बात लड़ना नहीं पड़ता इसे ?  चूंकि फ्रस्ट्रेशन तो निकालना ही होता है ना । जैसे हम लोग नित्य सुबह सुबह ठोस, द्रव, गैस पदार्थ निकालते हैं न वैसे ही रोजाना फ्रस्ट्रेशन भी निकालना आवश्यक है वरना अंदर ही अंदर गुबार बनकर बहुत नुकसान करता है ये फ्रस्ट्रेशन मुआ । हां , चूंकि वह एक आत्मनिर्भर आधुनिक नारी है । लाख डेढ़ लाख रुपए कमाती भी है महीने के । खर्चा कुछ खास है नहीं इसलिए इसने चार कुत्ते पाल रखे हैं । बस, उन्हीं के दम पर हमपे रौब झाड़ती है ये" । हंसमुख लाल जी कहते कहते भावुक हो गए । 
"शादी नहीं की क्या इन्होंने" ?
"पहले जब नौकरी लग गई थी तब तो इसके भाव बहुत ऊंचे थे । IAS से नीचे तो बात ही नहीं करती थी । मगर बात बनी नहीं ।  IAS का इंतजार करते करते यह 35 साल की हो गई मगर कोई ढंग का लड़का नहीं मिला । 35 साल तक कौन कुंवारा बैठा रहता है आजकल ? 35 साल की उम्र पार होने पर  ये IAS से नीचे उतरी । फिर तो "कोई भी नौकरी वाला चलेगा" वाले मोड में आ गयी । मगर इतनी उम्र का कोई कुंवारा मिला नहीं इसे । ऐसा करते करते 40 साल की हो गई मैडम जी  । एक व्यवसायी का रिश्ता आया था इसके पास मगर उसके दो बच्चे थे । उसकी बीवी उसे छोड़कर अपने प्रेमी के संग भाग गई थी । रिश्ता बहुत अच्छा था । वह लड़का लाखों रुपए कमाता था महीने के । दो बच्चे भी फ्री में मिल रहे थे , मगर ना जाने क्यों इसने मना कर दिया ।

उसके बाद से तो रिश्ते आने ही बंद हो गये । इस कारण यह डिप्रेशन की शिकार हो गई । डिप्रेशन के कारण चिड़चिड़ी हो गई थी यह । घर में सबसे लड़ने लगी थी । भाई भाभी, मम्मी वगैरह  सब परेशान हो गए इससे ।

एक दिन इसकी भाभी ने इसके व्यवहार के कारण घर में घोषणा कर दी कि घर में या तो ये रहेगी या वो । दोनों एक जगह नहीं रह सकती हैं । तब ये अपने पिता का घर छोड़कर यहां रहने आ गयी । एक दिन इसकी भाभी मिल गयी थी तुम्हारी भाभी को गोलगप्पे खाते समय गोलगप्पे वाली ठेल पर । वहीं बता रही थी इसके बारे में सब कुछ । मैडम जी आखिर अकेली कब तक रहती ? आदमी से तो निभा नहीं सकती थी इसलिए कुत्ते पालना शुरू कर दिया । अब चार चार कुत्ते हैं इसके पास । ये औरत जब भौंकना शुरू करती है तब ये कुत्ते भी अपनी मालकिन का भरपूर साथ देते हैं । अब तो यह हालत हो गयी है कि हम ये मकान ही छोड़कर जाना चाहते हैं । हमने कई प्रोपर्टी डीलर्स से भी संपर्क किया है अपना मकान बिकवाने के लिए । मगर सबने हाथ खड़े कर दिये यह कहकर कि 'आफत के पड़ोस में कौन रहना चाहेगा' ? अब आप ही बताइए भाईसाहब कि हम क्या करें " ?


बहुत सोच विचार करने के बाद हमें भी कुछ नहीं सूझा । फिर यह सोचकर कि इन मैडम से कौन पंगा ले ? जो पंगा लेगा उसकी शामत आ जाएगी । आजकल जमाना औरतों का ही है । कानून इनके पक्ष में । महिला आयोग इनके पक्ष में । सब कुछ इनके ही पक्ष में है । इसलिए टालने की गरज से हमने पूछ लिया "थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई" ? 

हंसमुख लाल जी फिर से जोर से हंस पड़े । कहने लगे " कैसी बातें करते हो भाईसाहब ? महिलाओ के खिलाफ पुलिस रिपोर्ट दर्ज करती है क्या ? हां,  एक बार पहले रिपोर्ट दर्ज कराई थी और पुलिस ने गलती से दर्ज भी कर ली । मगर पता है क्या हुआ उसका" ?

हमने आश्चर्य से पूछा "क्या हुआ उसका" ?
"अपने चारों कुत्तों के साथ पुलिस पर ही पिल पड़ी थी यह । बेचारे पुलिस वाले जैसे तैसे अपनी जान बचाकर भागे । उस घटना के बाद से वे हमारी बात ही नहीं सुनते हैं , हम क्या करें" ?  

मैंने मन ही मन सोचा कि आत्मनिर्भरता होना तो ठीक है मगर आत्मनिर्भरता इतनी भी नहीं होनी चाहिए कि घरवाले ही नहीं पड़ोसी भी 'त्राहिमाम त्राहिमाम' कर उठें । अबला से सबला बनने तक का सफर तो अच्छा है मगर 'आ बला' बन जाना ठीक नहीं । पता नहीं "लडंका" देवियों को यह बात समझ में आएगी या नहीं ।


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7 Comments

दशला माथुर

20-Sep-2022 12:53 PM

Bahut khub likha

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Seema Priyadarshini sahay

11-Jul-2022 03:20 PM

बहुत खूबसूरत

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Chudhary

11-Jul-2022 11:52 AM

Nice

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